बुजुर्ग हमारी धरोहर
"बुजुर्ग हमारी धरोहर"
बड़े बुजुर्ग हमारे, हैं हमारी धरोहर,
आदर सत्कार, मान उनका रखना,
देते विरासत में, संस्कृति ओर संस्कार,
बुजुर्गों का हमारे, सम्मान तुम करना,
बड़े बुजुर्ग हमारे.....
परिवार आज, एकल हो गये हैं,
सोचो विचार करो, क्यों टूट रहे परिवार,
न रहा कोई बंधन, न टोंका टाकी,
स्वछंदता भा गयी, आज उनको है,
बड़े बुजुर्ग हमारे.....
बड़े बुजुर्ग जब, साथ रहते हैं,
न घर की चिंता, न कोई फिक्र रहती है,
वरद हस्त हमारे, शीष पर रहता है,
उनके प्रति कर्तव्य, हमारे कुछ रहते हैं,
बड़े बुजुर्ग हमारे.....
जब तक रहता है, बुजुर्गों का साया,
हर संकट से हम, उबर जाते हैं,
उपकार बुजुर्गों का, हम पर है,
उनके रहते न हमें, कोई डरा पाया,
बड़े बुजुर्ग हमारे.....
हिलमिल कर रहना, सीख हमको देते हैं,
आए गर कोई मुसीबत, जीना सिखाते हैं,
नित नयी रीत-सीख, सिखा जाते हैं,
आशीर्वादों की झड़ी, लगा देते हैं,
बड़े बुजुर्ग हमारे.....।
काव्य रचना- रजनी कटारे
जबलपुर म. प्र.
Punam verma
23-Jun-2023 09:21 AM
Very nice
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Shashank मणि Yadava 'सनम'
23-Jun-2023 07:55 AM
बहुत ही सुंदर और बेहतरीन अभिव्यक्ति
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Abhinav ji
23-Jun-2023 07:43 AM
Very nice 👍
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